डॉ.
मुखर्जी
के
राजनीतिक दर्शन से
ही
भारत बनेगा
वैश्विक महाशक्ति
डॉ.
श्यामा
प्रसाद मुखर्जी नें भारतीय
राजनीति में राष्ट्रवाद की
नींव रखी थी। स्वतंत्र भारत
में देश की एकता के लिए बलिदान
देने वाले वे प्रथम राज नेता
थे।
आज
देश में राजनीति का एकमात्र
ध्येय सत्ता सुख ही रह गया है।
सत्ता के लालच में तुष्टिकरण
और जातिवाद राजनीति की धुरि
बन गये है। कश्मीर में पुनः
1953
से
पहले की स्थितियाँ लौटाने का
षडयंत्र किया जा रहा है। सेना,
पुलिस
और प्रशासन में साम्प्रदायिक
आधार पर विभाजन के प्रयास किए
जा रहे हैं।
कांग्रेस
और उसके सहयोगी दलों की
साम्प्रदायिक एवं जातिवादी
नीतियों के कारण देश का विकास
विगत9
वर्षों
से अवरूद्ध सा हो गया है। रूपये
का मूल्य गिर कर 60
रु.
डालर
से भी नीचे चला गया है। वैश्विक
आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना
चुर चुर हो गया है। बेकारी और
महंगाई की समस्या नियंत्रण
से बाहर हो गई है।
साम्प्रदायिक
एवं जातिवादी राजनीति का पराभव
ही डॉ.
श्यामाप्रसाद
मुखर्जी के प्रति कृतज्ञ
राष्ट्र की सच्ची श्रद्धांजली
होगी। अल्पसंख्यक वाद,
कट्टरवाद
और अलगाववाद आज देश के लिए
गंभीर खतरे है। धर्म निरपेक्षता
के नाम पर कट्टरपंथी मुस्लिमों
को बढ़ावा दिया जा रहा है।
राजनीतिक स्वार्थों को भूलाकर
राष्ट्रहित में सामाजिक सद्भाव
बढ़ाने और एकता को सशक्त बनाने
वाली नीतियों को अपनाना हौगा।
डॉ.
मुखर्जी
का राजनीतिक दर्शन ही भारत
को वैश्विक महाशक्ति बना सकता
है।