Wednesday, June 29, 2011

कांग्रेस रैली में दिखी केवल चिढ़ और खीज


जून 29, 2011

कांग्रेस रैली में दिखी केवल चिढ़ और खीज

जयपुर की कांग्रेस रैली को आत्म प्रवंचना और जनता को भ्रमित करने का निष्फल प्रयास मात्र है। रैली में कांग्रेसी नेताओं के उद्बोधनों में मलिन होती छवि और बढते जन आक्रोश के कारण उत्पन्न हताशा झलक रही थी।

जनता कांग्रेस से अरबों रूपयों के महा घोटालों का सच जानना चाहती है। संसद की लोक लेखा समिति और संयुक्त संसदीय समिति में कांग्रेसी सदस्यों के आचरण से स्पष्ट है कि वे यथार्थ तथ्यों के अन्वेषण में बाधा डाल रहे है। डीजल और रसोई गेस के मूल्यों में राहत जले पर नमक छिड़कने की तरह है।

संत रामदेव बाबा और गांधीवादी अन्ना हजारे के चरित्र हनन के कांग्रेसी प्रयासों से उसकी सामन्ती मानसिकता का पता चलता है। यह बदले की भावना और अविवेक की पराकाष्ठा है। इससे विरोध करने वालों को कुचलने की आपातकालीन मानसिकता दिखती है। ये रैलियां विरोधियों को चुप करने के लिए सत्ता का निरूंकुश उपयोग, लोकतंत्र में अविश्वास और सामंती सोच की कांग्रेसी संस्कृति का निर्लज्ज उदारहण है।

Sunday, June 26, 2011

कांग्रेस में आज भी आपातकालिन मानसिकता


जून 26, 2010

कांग्रेस में आज भी आपातकालिन मानसिकता

कांग्रेस पार्टी का चरित्र मूलतः लोकतंत्र विरोधी है। यह सत्ता पर एकाधिकार की मनोवृति से ग्रस्त है। 1975 में आपातकाल लगाने, समाचार माध्यमों का गला घोंटने और सारे देश को बंदीगृह में रुपान्तरित करने की दोषी है कांग्रेस। किन्तु इस अक्षम्य पाप के लिए इसने आज तक राष्ट्र से क्षमा नहीं मांगी है।

आपातकाल की 36वीं वर्षगांठ हमें फिर तानाशाही का आभास करवा रही है। 4 जून की रात्री को दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस के क्रूर चेहरे का यथार्थ सामने आया था। यह सर्वविदित है कि देश में सर्वोच्च सत्ता के सूत्र प्रधानमंत्री के हाथ में नहीं है। कांग्रेस अध्यक्षा संविधानेत्तर सत्ता का केन्द्र बन गई है। कांग्रेसी मंत्रियों के 2011 के वक्तव्यों और 1975 के वक्तव्यों में आश्चर्य जनक समानता है।

आपातकाल के काले दिनों को विस्मृत करना लोकतंत्र के लिए घातक होगा। आतंक के दुर्दिनों को भूलना निरंकुश सत्ता को फिर से न्यौता देने के समान है। नवीन चावला को मुख्य चुनाव आयुक्त और पीजे थॉमस को मुख्य सतर्कता आयुक्त बनाने में कांग्रेस नें नैतिकता की सारी मर्यादाएं तोड़ दी थी। कांग्रेस समर्पित न्यायपालिका, चाटुकारी नोकरशाही और आज्ञाकारी समाचार जगत में विश्वास रखती है।