Thursday, March 10, 2011

अर्थ-संकल्प दिशाहीन और निष्प्रभ


अर्थ-संकल्प दिशाहीन और निष्प्रभ:किरण माहेश्वरी

राजस्थान का2011-12का अर्थ संकल्प दिशाहीन और निष्प्रभावी है। सरकार नें पहले से ही ली जा रही उच्च वेट दरों में कोई राहत नहीं दी है,वहीं500करोड़ रूपयों के नये कर लगा कर विकास की संभावनाओं पर पानी फेर दिया है। राजकोषीय घाटा8000करोड़ रुपये हो गया है किन्तु वित्तीय स्थिति को सुधारने के कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। मुद्रांक शुल्क पर अधिभार और विद्युत उपभोग पर अतिरिक्त उपकर से आम जनता की कठिनाइयां बढ़ेगी।

सरकार का ऋण1.25लाख करोड़ तक हो गया है। सरकार नें अनुत्पादक व्ययों को कम करने का साहस नहीं दिखाया। राज्य के विभिन्न अंचलों में विकास में भारी असंतुलन है। अर्थ संकल्प में जोधपुर और जयपुर के विकास को ही प्रथमिकता दी गई है। मेवाड़ और वागड़ अंचल की भारी उपेक्षा की गई है। इससे क्षेत्रीय असंतुलन और बढ़ेगा।

राज्य मानव विकास सुचकांक में अत्यंत पीछड़ गया है। शिक्षा,स्वास्थ्य,स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता,निर्धनों को आवास,शिक्षित और अशिक्षित बेकारों को रोजगार और महिला सशक्तिकरण में राज्य की स्थिति चिंताजनक है। राज्य की समस्याओं का हल तीव्र आर्थिक विकास,संरचना सुविधाओं के सृजन,और गहन औद्योगिकरण से ही संभव है। दुर्भाग्य से वर्तमान सरकार में विकास की सोच का अभाव है। इसी करण राजस्थान विकास में पीछड़ता जा रहा है।

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