Thursday, March 17, 2011

फिर सामने आई कांग्रेस की गंदी चालें


फिर सामने आई कांग्रेस की गंदी चालें
कांग्रेस नरेंद्र मोदी को परेशान करने के लिए कुछ भी कर सकती है।

राज्य सभा के सभापति, श्री हामिद अंसारी सरकार का बचाव करने के लिए विवश हो सकते है, लेकिन  विपक्ष के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। श्री अंसारी का केंद्र सरकार के स्पष्ट तौर पर अवैध रूप से गुजरात सरकार को परेशान करने और अपनी शक्ति और सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर राज्य से निवेशकों को डराने के कदम का विरोध से विपक्ष को रोकने प्रयास अनुचित है। विडंबना यह है कि सरकार के दुष्कर्मों से श्री अंसारी तनिक भी विचलित नहीं है। उनकी विपक्ष के विरुद्ध निंदात्मक टीप्पणी अस्वीकार्य है। यह भाजपा का विधि सम्मत अधिकार है कि वह कांग्रेस द्वारा श्री नरेंद्र मोदी और गुजरात सरकार को परेशान करने की बात सदन में उठाए। यह आश्चर्य है कि आयकर विभाग गुजरात के उद्योग आयुक्त को निर्देशित कर वाइब्रेंट गुजरात 'निवेशक सम्मेलन में निवेशकों के साथ संपादित ज्ञापनों की प्रतियों की मांग करें। यह भी उतना ही आश्चर्यजनक है कि समझौता ज्ञापनों की  जांच शुरू की जाए। पहले कभी ऐसा असाधारण कदम राज्यों में निवेश के अनुरोध या निवेशकों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के संबंध में नहीं उठाया गया है। स्पष्ट है, कांग्रेस, राज्य  अभिकरणों का दुरूपयोग करने के बारे में निर्लज्ज है। जैसा कि हम सीबीआई के बारे में देखते है कि किस प्रकार यह भाजपा नेताओं और गुजरात के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ झूठे मामले बनाने का सतत दुष्प्रयास कर रही है। कांग्रेस गुजरात और वहां के निवासियों को उनकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि औद्योगिक निवेश को कुंठित कर चोट पहुंचाना चाहती है। पर इस विकृत सुख के लिए वह भारत का भी बड़ा अहित कर रही है। कांग्रेस पार्टी के हितों के लिए राष्ट्र को कभी महत्वपूर्ण नहीं समझती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहीत उसके नेताओं के लिए राष्ट्र कभी भी चिंता का विषय नहीं रहा हे। स्पष्ट है कि आयकर विभाग को राजनीतिक उत्पीड़न का एक औजार बनाया जा रहा है।

दु: खद और कायरतापूर्ण गंदी चालों के सहारे राजनीतिक विरोधियों का उत्पीड़न कांग्रेस के नेताओं के डीएनए में से एक जीन की तरह समाविष्ट है। गुजरात सरकार के विरुद्ध कांग्रेस की काली करतुतों की अंतहीन श्रृंखला का ही यह एक भाग है। इसका एक अन्य पहलु कांग्रेस का हमारी राजनीति के संघीय ढांचे पर बेशर्म हमला भी है, जो समान रूप से निंदनीय है। राज्य सरकारें धन जुटाने और आगे विकास के लिए निवेश आमंत्रित करने और विकास में वृद्धि के लिए निवेशक सम्मेलन करने को स्वतंत्र है। नई दिल्ली में या राज्यों की राजधानियों में ऐसे सम्मेलन एक स्थापित परम्परा है। श्री मोदी के संरक्षण गुजरात की सरकार ने निवेश आकर्षित करनें में केन्द्र और अन्य राज्यों को बहुत पिछे छोड़ दिया है। यह शासन की गुणवत्ता के लिए एक प्रमाणपत्र के समान है। जिसे कोई कांग्रेसी नेता, चाहे केन्द्र में हो या राज्यों में,  कभी भी प्राप्त करने में सक्षम नहीं दिखते हैं। केन्द्र सरकार गुजरात सरकार के प्रयासों को निष्फल करने और संभावित निवेशकों को डराने कोशिश कर रही हैं।  इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस काले शरारतपूर्ण कृत्य को आरम्भ में ही रोकना होगा। चमकते गुजरात की पूर्व संध्या पर, वित्त मंत्रालय नें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से संपर्क किया था और उनसे कहा था कि प्रस्तावित परियोजनाओं को समर्थन नहीं दे. अब आयकर विभाग को निवेशकों के विश्वास को तोड़ने के लिए मैदान में उतारा गया है। इस तरह की कुटिल सरकार के साथ उदार होना भी देशद्रोह होगा। श्री अंसारी को यदि इससे कष्ट हो, तो हो।

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