Sunday, September 25, 2011

राष्ट्र गौरव के प्रखर चिंतक थे पं. दीनदयाल उपाध्याय


राष्ट्र गौरव के प्रखर चिंतक थे पं. दीनदयाल उपाध्याय
पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्र गौरव के प्रखर चिंतक थे भारतीय संस्कृति की व्याख्या करते हुए उन्हौंने नें कहा था कि सांस्कृतिक सहिष्णुता और कर्तव्य प्रधान जीवन इसके मूल आधार है। उपाध्याय जी की 95 वीं जयंति पर कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें हार्दिक श्रृद्दा सुमन अर्पित करता है।एकात्म मानववाद और राष्ट्र हित सर्वोपरि की उनकी अवधारणाएं ही भारत को वैश्विक शक्ति बनाने का व्यवहारिक मार्ग है।

अभी राजनीति के प्रति जन साधारण में गहरा रोष व्याप्त है। दीनदयाल जी नें वर्षों पूर्व कहा था कि अवसरवादिता और सिद्धान्त हीनता के कारण राजनेता जन विश्वास खो देंगे। भारत की समस्याओं पर चर्चा में उन्हौंने कहा था कि राष्ट्रीय पहचान की उपेक्षा ही इसका मूल कारण है।

No comments:

Post a Comment