11 अप्रेल, 2014
कांग्रेस की कथनी और करनी में है भारी अंतर
सावरकर स्मृति में मोदी क्यों विषय पर उद्बोधन
कांग्रेस की कथनी और करनी में भारी अंतर है। नरेन्द्र मोदी की दिन प्रतिदिन बढ़ रही लोकप्रियता से घबराकर कांग्रेस व्यक्ति पूजा एवं वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी का आरोप भाजपा पर लगा रही है। किन्तु कांग्रेस के घोषणा पत्र में जनता से किए गए सभी लोकलुभावन वादें नेहरु, इंदिरा एवं राजीव गांधी के नाम पर बनाई योजनाओं के अन्तर्गत किए गए हैं। इंदिरा भारत और भारत इंदिरा है का नारा लगाने वाली पार्टी द्वारा व्यक्ति पूजा के विरोध में उपदेश पाखण्ड का चरम है।
कांग्रेस की आर्थिक नीतियाँ लूटखसोट के दर्शन पर आधरित है। विदेशों में जमा काला धन वापस लाने के प्रयासों के कांग्रेसी विरोध के मूल में क्या है? कांग्रेस के लिए पंथ निरपेक्षता का अर्थ मुस्लिम तुष्टिकरण के निर्लज्ज प्रयास और देश विरोधी शक्तियों का संरक्षण है। दंगों एवं धार्मिक विद्वेष का सर्वाधिक लाभ कांग्रेस नें उठाया है।
नरेन्द्र मोदी देश को सशक्त और समृद्ध बनाने का मानचित्र देश के सामने रख रहे हैं। कांग्रेस के शहजादे और नेताओं की एकमात्र चिन्ता नरेन्द्र मोदी के विवाह की है। देश और समाज के लिए अपने परिवार का त्याग करनें की हमारी एक दीर्घ परम्परा है। किन्तु कांग्रेस तो एक अंग्रेज द्वारा स्थापित की गई विदेशों के प्रति मानसिक दासता से ग्रस्त दल है।
अटल बिहारी वाजपेयी का सर्वाधिक मुखर विरोध करने वाली कांग्रेस को अब उनमें दैवीय गुण दिखने लगे हैं। देश में आपातकाल में तानाशाही और दमन का क्रुर चक्र चलाने वाली कांग्रेस जब मोदी को राजधर्म की सीख देती है तो इनकी मानसिक रुग्णता पर हंसी आती है।
देश को भारत विरोधी शक्तियों को मुँहतोड़ उत्तर देने वाले और विकास का नया मार्ग दिखाने वाले नेतृत्व की आवश्यकता है। भारत के युवाओं के सपने पुरे करने वाले नेतृत्व की आवश्यकता है। इसीलिए जरुरी है मोदी की सरकार।
vivah kee chinta ,atal ji ke sath vyavhar zara apna girebaan jhankiye jyada door nahi jana hoga kiran ji .
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