जून 29, 2011
कांग्रेस रैली में दिखी केवल चिढ़ और खीज
जयपुर की कांग्रेस रैली को आत्म प्रवंचना और जनता को भ्रमित करने का निष्फल प्रयास मात्र है। रैली में कांग्रेसी नेताओं के उद्बोधनों में मलिन होती छवि और बढते जन आक्रोश के कारण उत्पन्न हताशा झलक रही थी।
जनता कांग्रेस से अरबों रूपयों के महा घोटालों का सच जानना चाहती है। संसद की लोक लेखा समिति और संयुक्त संसदीय समिति में कांग्रेसी सदस्यों के आचरण से स्पष्ट है कि वे यथार्थ तथ्यों के अन्वेषण में बाधा डाल रहे है। डीजल और रसोई गेस के मूल्यों में राहत जले पर नमक छिड़कने की तरह है।
संत रामदेव बाबा और गांधीवादी अन्ना हजारे के चरित्र हनन के कांग्रेसी प्रयासों से उसकी सामन्ती मानसिकता का पता चलता है। यह बदले की भावना और अविवेक की पराकाष्ठा है। इससे विरोध करने वालों को कुचलने की आपातकालीन मानसिकता दिखती है। ये रैलियां विरोधियों को चुप करने के लिए सत्ता का निरूंकुश उपयोग, लोकतंत्र में अविश्वास और सामंती सोच की कांग्रेसी संस्कृति का निर्लज्ज उदारहण है।
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