Friday, December 14, 2012

मंहगाई, भ्रष्टाचार एवं आतंक है सरकार की पहचान


मंहगाई, भ्रष्टाचार एवं आतंक है सरकार की पहचान

राजस्थान में संवेदनहीनता, भ्रष्टाचार, मंहगाई एवं आतंक सरकार की पहचान बन चुकी है। राज्य की जनता असुरक्षित और गुण्डो के आतंक में जीने को विवश है। फिरौती, हत्या, लुटपाट सारे राजस्थान में सामान्य बात हो गई है। विकास और राहत के मुख्यमंत्री के दावे सरासर झुंठे है। भारी बेकारी के कारण राजस्थान के युवाओं का भविष्य धुमिल होता जा रहा है।

राज्य में परिवहन ढ़ांचा अस्त व्यस्त हो चुका है। भारी करारोपण एवं भ्रष्टाचार के कारण 5000 से अधिक निजी बसों में से 3500 बंद हो चुकी है। निगम की बस सेवाओं में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है। सारे राज्य में रसोई गेस टंकियों की मारामारी मची हुई है। टंकियों में कालाबाजारी ने 1970 के दशक की याद दिला दी है। 5 लाख उपभोक्ताओं के गेस संयोजन काट दिए गए। गांवों में बिजली की उपलब्धता बहुत कम है।

खनन क्षेत्रों में सड़को की स्थिति भयावह है। ग्रामीण अचंलो में सड़क निर्माण ठप्प हो गया है। आमान परिवर्तन, नए रेलपथों का निर्माण एवं नई रेल गाड़ियों के संचालन में सरकार राज्य हितों की सुरक्षा नहीं कर पाई है।

राजस्थान में सरकार प्रभाहीन हो गई है। नोकरशाही बेलगाम है। सत्ता दल के विधायकों की बात भी नोकरशाही नहीं मान रही है। काग्रेंस पार्टी में गुटबंदी चरम पर है। सत्ता पक्ष भ्रष्टाचारियों एवं अपराधियों को संरक्षण दे रहा है। सरकार की सारी उर्जा केवल पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध मिथ्या आरोपों में लग रही है।

सभी विधवाओं को एक समान दर से जीवन वृति दी जानी चाहिए। बालिकाओं को साइकल वितरण के स्थान पर नकद राशि दी जाए ताकि वे अपनी पसंद का वाहन खरीद सकें।

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