जुलाई 12, 2011
केन्द्र सरकार की विश्वसनीयता शुन्य
केन्द्रीय सरकार और कांग्रेस गठबंधन की जनता में विश्वसनीयता शुन्य स्तर पर पहुँच गई है। केन्द्रीय मंत्रीमंडल से दागी और अक्षम मंत्रियों को हटानें में प्रधानमंत्री असमर्थ दिखे। सरकार में महंगाई और भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने की दूरदृष्टी का अभाव स्पष्ट दिख रहा है।
विगत 7 वर्षों से महंगाई पर नियंत्रण के कोई प्रयास संप्रग सरकार नें नहीं किए हैं। खाद्यान्नों, सब्जियों, कपड़ो, औषधियों, सहीत आम उपभोग की सभी वस्तुओं के मूल्यों में भारी वृद्धि के कारण साधारण नागरिकों का जीवनयापन अत्याधिक कठिन होता जा रहा है।
दुःख की बात तो यह है कि सत्तारूढ़ नेता मंहगाई पर नियंत्रण के प्रश्नों को टालते दिखते हैं। उनके पास नहीं तो इच्छाशक्ति दिखती है, नहीं कोई ठोस नीति।
सरकारी नीतियों पर विभिन्न कंपनी समुहों का प्रभाव स्पष्ट दिखता है। आम जनता की भलाई गौण हो चुकी है। सरकार का सारा प्रयास और समय भ्रष्टाचार में संलिप्त सहयोगियों को बचानें में ही लग रहा है। सरकार विधिक कार्रवाई करने के पहले उन्हें बचाव के रास्ते ढुंढने का पर्याप्त समय देती है।
यह सरकार जनता में अपनी मर्यादा और प्रभाव को खो चुकी है। कांग्रेस तुष्टीकरण को सत्ता बचाने का एकमात्र विकल्प मान कर नीतियाँ बना रही है। प्रधानमंत्री सत्ता में बने रहने के लिए कोई भी समझौता करने को तत्पर रहते हैं। देश की सर्वाधिक भ्रष्ट सरकार नें सुरक्षा को ही खतरें में डाल दिया है।
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