लोकपाल पर भ्रमित कर रही है कांग्रेस
लोकपाल विधेयक पर कांग्रेस पार्टी देश को भ्रमित कर रही है। निजी क्षेत्र और स्वैच्छिक संगठनों में सरकारी धन का उपयोग नहीं होता है। उनके कार्य राष्ट्र विरोधी हो अथवा काले धन का उपयोग हो तो, उसके लिए पहले से ही कई विधियां बनी हुई है।
लोकपाल सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की संस्था है। कांग्रेस एक तरफ तो नौकरशाही के सभी स्तरों को, केन्द्रीय जांच ब्युरों और प्रधानमंत्री को लोकपाल संस्था के क्षेत्राधिकार में लाने को मना रही है, दूसरी और निजी क्षेत्र और स्वैच्छिक संगठनों की बात कर भ्रष्टाचार पर देश को भ्रमित कर रही है।
1968 से देश में केन्द्रीय स्तर पर लोकपाल विधेयक पर चर्चा हो रही है। आज तक इसके 9 प्रारुप संसद में रखे जा चुके है। किसी कानुन को बनाने में 42 वर्ष का समय कम नहीं होता है।
सभी विभागों में नागरिक संहिता का निर्माण अत्यावश्यक है, इससे जनता को समय पर काम होने का लाभ मिलेगा। सरकारी कर्मचारियों में समयबद्धता और उत्तरदायित्व की भावना बढ़ेगी।
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