सरकार
की न साख है न विश्वनीयता
सामूहिक
दुष्कर्म की पीड़िता की मृत्यु
देश के सामने एक यक्ष प्रश्न
छोड़ गई है। ईश्वर उसकी आत्मा
को चिर शांति दे। इस घटना ने
विश्व में भारतीय शासन की
अपकीर्ति को ही फैलाया है।
जनमानस में न सरकार की साख है,
न
ही विश्वनीयता है।
यह
समय अपराध न्याय व्यवस्था और
पुलिस प्रणाली में समूल परिवर्तन
का है। लोकतांत्रिक अधिकारों
के प्रति संवेदनशीलता,
विरोध
प्रदर्शनों के समय मौलिक
अधिकारों का सम्मान और अपराधियों
में विधि का भय का वातावरण
बनाने के लिए पुलिस को उत्तरदायी
बनाने का समय आ गया है।
भारतीय
गृह मंत्री महिलाओं के विरुद्ध
अपराधों में शिथिलता रखने,
लापरवाही
करने एंव चूक करने वाले दोषी
पुलिस कर्मियों को दण्डित
करने के विधिक प्रावधान करने
के सुझाव स्वीकार करें। महिलाओं
के विरुद्ध अपराधों के न्यायालय
में विचारण और निर्णय की अधिकतम
समय सीमा 6
माह
कर दी जानी चाहिए। गम्भीर
अपराधों में मृत्युदण्ड और
न्युनतम सजा 5
वर्ष
करने का सुझाव भी माना जाए।