Tuesday, April 29, 2014

कश्मीर सौंपने की तैयारी थी

पाकिस्तान को कश्मीर सौंपने की तैयारी थी
मनमोहन सोनिया सरकार की
विशाखापत्तनम में सैन्यकर्मियों की सभा एवं हिन्दी भाषियों के विशाल सम्मेलन को संबोधन 

मनमोहन सोनिया सरकार नें पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति के साथ कश्मीर पर गुप्त वार्ताओं का एक लम्बा अभियान चलाया था। इन वार्ताओं की कोई भी सूचना मंत्रीमण्डल की रक्षा एवं राजनीतिक  मंत्रणा समिति को भी नहीं दी गई थी। दूर्बल एवं कायर मानसिकता से ग्रस्त नेतृत्व नें कश्मीर को पाकिस्तान को सौंपने की तैयारी कर ली थी। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति के अपदस्थ हो जाने के कारण ही यह वार्ता किसी परिणाम नहीं पहुंच पाई। कांग्रेस को इन गुप्त वार्ताओं के बारे में देश को वस्तुस्थिति से अवगत करवाना चाहिए।

देश में समृद्धि और विदेशों में प्रतिष्ठा दोनों को कांग्रेस नें रसातल में पहुंचा दिया है। तेंलागना प्रकरण में कांग्रेस नें भाईयों को आपस में लड़वा दिया। विद्वेष की राजनीति से ही कांग्रेस को सत्ता की उर्जा मिलती है। प्रतिपक्ष के नेताओं का चरित्र हनन एवं केन्द्रीय जांच अधिकरणों का दुरुपयोग कांग्रेस की परम्परा रही है। कांग्रेस को दिया गया वोट बेलगाम महंगाई, अंतहीन भ्रष्टाचार और बेकारी में भारी वृद्धि को वोट देना है। देश को पतन की ओर ले जाने वाली कांग्रेस से भारत की मुक्ति के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। सुनहरे भविष्य के लिए भाजपा को विजयी बनाएं।

(सभाओं को ले. जनरल डॉ. मलिक, लोकसभा प्रत्याशी डॉ. हरिबाबु, भाषा प्रकोष्ठ के शिशिर रेड़्डी, रामगोपाल नायडु, महालक्ष्मी, विधायक प्रत्याशियों सहित कई वरिष्ठ जनों नें संबोधित किया था। इससे पूर्व किरण नें 2 दिनों में हैदराबाद और विजयवाड़ा में हिन्दी भाषियों के वृहद सम्मेलनों में भाग लिया और भाजपा के पक्ष में गहन प्रचार किया । )

Tuesday, April 22, 2014

टाफी चाकलेट की कहानियों से नहीं चलता है देश

धोलपुर लोकसभा क्षेत्र के करौली में 
एक विशाल मार्ग संचलन का आयोजन
टाफी चाकलेट की कहानियों से नहीं चलता है देश 

कांग्रेस टाफी चाकलेट की कहानियों से देश को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। किन्तु देश इन कहानियों से नहीं चलता है। नरेन्द्र मोदी भारतवासियों की आशाओं के केन्द्र बन कर उभरे हैं। मोदी के नाम से ही भारत को नीचा दिखाने वालों में भय व्याप्त हो जाता है।

भाजपा नेतृत्व देश के सामने अर्थ नीति, विदेश नीति, रोजगार सृजन, संरचना विकास, महंगाई पर नियंत्रण, भ्रष्टाचार पर अंकुश जैसे विषयों पर अपने विचार रख रहे हैं। वहीं राहुल भैय्या टाफी चाकलेट से ही उपर नहीं उठ पा रहे हैं। कांग्रेस में हताशा इतनी ज्यादा है कि प्रधानमंत्री चुनावों में प्रचार करने के स्थान पर अपना घर बदलने में व्यस्त है। 

कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार के कारण देश आज विनाश के कगार पर पहुँच गया है। अभी जाति, पंथ और क्षेत्रियता पर सोचने का समय नहीं है। देश को बचाने के लिए कांग्रेस की विदाई आवश्यक है। कांग्रेस मुक्त भारत के लिए सभी समाज एकनिष्ठ होकर अग्रणी भूमिका  निभाए। 

Friday, April 11, 2014

कांग्रेस की कथनी और करनी में है भारी अंतर

11 अप्रेल, 2014
कांग्रेस की कथनी और करनी में है भारी अंतर
सावरकर स्मृति में मोदी क्यों विषय पर उद्बोधन

कांग्रेस की कथनी और करनी में भारी अंतर है। नरेन्द्र मोदी की दिन प्रतिदिन बढ़ रही लोकप्रियता से घबराकर कांग्रेस व्यक्ति पूजा एवं वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी का आरोप भाजपा पर लगा रही है। किन्तु कांग्रेस के घोषणा पत्र में जनता से किए गए सभी लोकलुभावन वादें नेहरु, इंदिरा एवं राजीव गांधी के नाम पर बनाई योजनाओं के अन्तर्गत किए गए हैं। इंदिरा भारत और भारत इंदिरा है का नारा लगाने वाली पार्टी द्वारा व्यक्ति पूजा के विरोध में उपदेश पाखण्ड का चरम है।

कांग्रेस की आर्थिक नीतियाँ लूटखसोट के दर्शन पर आधरित है। विदेशों में जमा काला धन वापस लाने के प्रयासों के कांग्रेसी विरोध के मूल में क्या है? कांग्रेस के लिए पंथ निरपेक्षता का अर्थ मुस्लिम तुष्टिकरण के निर्लज्ज प्रयास और देश विरोधी शक्तियों का संरक्षण है। दंगों एवं धार्मिक विद्वेष का सर्वाधिक लाभ कांग्रेस नें उठाया है। 

नरेन्द्र मोदी देश को सशक्त और समृद्ध बनाने का मानचित्र देश के सामने रख रहे हैं। कांग्रेस के शहजादे और नेताओं की एकमात्र चिन्ता नरेन्द्र मोदी के विवाह की है। देश और समाज के लिए अपने परिवार का त्याग करनें की हमारी एक दीर्घ परम्परा है। किन्तु कांग्रेस तो एक अंग्रेज द्वारा स्थापित की गई विदेशों के प्रति मानसिक दासता से ग्रस्त दल है। 

अटल बिहारी वाजपेयी का सर्वाधिक मुखर विरोध करने वाली कांग्रेस को अब उनमें दैवीय गुण दिखने लगे हैं। देश में आपातकाल में तानाशाही और दमन का क्रुर चक्र चलाने वाली कांग्रेस जब मोदी को राजधर्म की सीख देती है तो इनकी मानसिक रुग्णता पर हंसी आती है।

देश को भारत विरोधी शक्तियों को मुँहतोड़ उत्तर देने वाले और विकास का नया मार्ग दिखाने वाले नेतृत्व की आवश्यकता है। भारत के युवाओं के सपने पुरे करने वाले नेतृत्व की आवश्यकता है। इसीलिए जरुरी है मोदी की सरकार।

Friday, April 4, 2014

स्वाभिमान, सुशासन और विकास का कोई विकल्प नहीं 

कांग्रेस के लिए पंथनिरपेक्षता कट्टरपंथियों का घोर तुष्टिकरण मात्र है। स्वाभिमान, सुशासन और विकास का कोई विकल्प नहीं है।  भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी इन्हीं सुत्रों के प्रतीक पुरुष बन कर उभरें हैं। जबकी कांग्रेस आज भी अपने कुकृत्यों का लेखा देने को तैयार नहीं हैं।


कांग्रेस पराजय की मनोव्यथा से ग्रसित है। उसके बड़े नेता चुनावों का सामना करने को तैयार नहीं हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी और सांसद पार्टी छोड़ कर भाग रहे हैं। कांग्रेस सरकार संरक्षित और राज्य द्वारा अनुदानित साम्प्रदायिकता को फैला कर देश को दुर्बल बनाने का काम करती रही है। जबकि भाजपा नें सदैव सुशासन, सुरक्षा और विकास के आधार पर जन समर्थन मांगा है।

देश का हालात बदलने के लिए मतदान का सही उपयोग करें। भाजपा को विजयी और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाएं । 

Sunday, March 30, 2014

नववर्ष पर मंगलकामना

नववर्ष पर मंगलकामना

नववर्ष आपके जीवन में शुभ, लाभ, यश एवं आनंद की वृद्धि करें, ईश्वर से यही विनती है।


शालिवाहन नें चेतना शून्य, पौरुषहीन एवं कायर जनमानस में आत्म विश्वास, पराक्रम और स्वाभिमान की भावना का संचार कर मानों मिट्टी के पूतलों को सजीव बना दिया। और इस सजीव जनशक्ति के बल पर आसुरी सेना को पराजित कर देव शक्तियों की प्रतिष्ठा की। इस प्रकार शालीवाहन संवत का प्रारम्भ हुआ।


वीर विक्रमादित्य नें अतुलित बल, अपरिमित ऐश्वर्य और अतुलनीय न्याय व्यवस्था के साथ भारत की विजय पताका फहराई। इस स्मृति में विक्रम संवत प्रारम्भ हुआ। 

आज के पावन दिवस पर ही भगवान राम नें बाली की आसुरी राज व्यवस्था को परास्त कर सुग्रीव की जनहितकारी व्यवस्था स्थापित की। इसीलिए आज के दिन घर घर में गुड़ियाँ (विजय पताकाएं) फहराने की प्रथा प्रारम्भ हुई।

यह उत्सव मृत मानव चेतना को पुनर्जीवित कर प्रभुकार्य में नियोजित करने के संकल्प का पर्व है। आज देश को पुनः गौरव के सिंहासन पर बैठाने के लिए राष्ट्रवादी शक्तियों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

आइये, हम संकल्प लें कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सशक्त भारत समृद भारत का सपना साकार करने के लिए भाजपा को विजयी बनायेंगे।

पुनः आप पर ईश्वर की अनुकम्पा बनी रहें और आप कर्तव्य पालना में सक्षम बनें रहे, यही मंगलकामना है।

Friday, March 14, 2014

लोकसभा चुनावों में गांधी राजवंश का अंत होना निश्चित

लोकसभा चुनावों में गांधी राजवंश 
का अंत होना निश्चित 


देश में नरेन्द्र मोदी विकास के पर्याय बन गए है। लोकसभा चुनावों में गांधी राजवंश का अंत होना निश्चित है। देश अब विकास और जनकल्याण की राजनीति पर आगे बढ़ रहा है।


सभी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से एक स्पष्ट संदेश मिल रहा है। देश में मोदी लहर चल रही है और भाजपा स्पष्ठ  बहुमत की ओर तेजी से बढ़ रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव देश के राजनीतिक एवं आर्थिक परिदृश्य को सदा सदा के लिए बदल देंगे।

भाजपा का मत प्रतिशत 35 के उपर होगा जबकि कांग्रेस का मत प्रतिशत 20 से भी कम होगा। कांग्रेस स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी पराजय का सामना करेगी। राग को 300 से अधिक स्थानों पर विजय मिलेगी ।

जनता भाजपा में एक नया और सुखद भविष्य का चित्र देख रही है। तिव्र विकास, अवसरो की समानता , संघीय ढांचे का सम्मान एवं सशक्त नेतृत्व में जनता अपना भविष्य खोज रही है।

Friday, March 7, 2014

कर्तव्यों और अधिकारों का सदुपयोग कर के बने सुव्यक्ति.0

कर्तव्यों और अधिकारों का सदुपयोग कर के बने सुव्यक्ति

छोड़े पुरुषों की चिन्ता
महादेवी वर्मा नें कहा था कि पुरुषों की चिन्ता छोड़ दो। घर में किसी लड़के के आवारा हो जाने पर दुःखी होकर लोग कहते हैं कि आवारा हो गया है, जाने दो। पर क्या किसी लड़की को भी कोई ऐसा कहता है? उसकी मां, घर वाले कभी नहीं कहते हैं कि आवारा हो गई, इसे होने दो। क्यों? लड़की मात्र एक व्यक्ति नहीं, संस्था है। पुरुषों की चिन्ता छोड़ो। आप तो सचेत – सजग नागरिक बनों। अपनी शक्ति से ही आपको नव निर्माण करना है।

अधिकारों की नहीं है कमी
आज देश में महिलाओं को मिले अधिकारों की कमी नहीं है। पर कितनी महिलाएं है, जो अधिकारों का उपभोग कर पाती है। आप अपने कर्तव्यों के बल पर अधिकार अर्जित कीजिए। कर्तव्य और अधिकारों का सदुपयोग से ही आप सम्मान अर्जित कर सकेंगी। यदि आपको अपने कर्तव्यों का भान है तो कोई पुरुष आपको भोग्या नहीं बना सकता है। वह आपका व्यक्ति के रुप में सम्मान ही करेगा।

जननी को जनमने दें
जननी की कीर्ति गाथा गानें में हमारा समाज कहीं से पीछे नहीं है। धन, बल और विद्या की देवियाँ - लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती। पर ऐसे वातावरण में भी लड़कियों को बोझ समझने की भावना कैसे आ गई। बेटे की तुलना में भोजन, शिक्षा और सम्मान में भेदभाव क्यों? लड़के लड़कियों के अनुपात में आ रही विषमता हमारे संस्कृति पर एक गंभीर प्रश्न है। समाज में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए एक सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है। बेटी के जन्म पर भी बधावे गाए जाएं, लड्डू बांटें, शंख बजाएं। 
जननी को जनमने दो, 
जनमी को जीने दो। 
जनमी बेटियों को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की सभी सुविधाएं मिले। तभी माताएं निर्भिक होकर जननी को जनम देगी।

बेटा जैसा नहीं बनाएं बेटियों को

लड़कियों के विकास का अर्थ उन्हों लड़कों जैसा बनाना नहीं है। लड़की न लड़का बन सकती है, नहीं उसकी जरुरत है। समाज निर्माण में दोनों की अपनी अपनी अहम भूमिकाएं है। व्यक्तित्व विकास और सार्वजनिक क्षेत्र में समान काम का समान अवसर होना चाहिए। पद, वेतन, पदोन्नति और व्यवहार में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। 
किन्तु व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया और पद्धति, दोनों में तो कुछ भेद होगा ही। बेटियों को सभी सुख सुविधाएं दो, किन्तु उनके बेटी को रुप को सुरक्षित रखते हुए। मानवी के रुप को संरक्षित करते हुए। लड़कियों का पैंट, जिंस या सलवार कुर्ता पहनना समय की आवश्यकता है। आज कार्य क्षेत्र में साड़ी में लिपटे रहने से काम नहीं चलेगा। पर जिंस पहनते समय भी अपने के लड़का समझने की मानसिकता का त्याग करना सीखना होगा। 
माँ बहन बेटी कभी पत्नी कभी, कभी है प्रेयसी
जानती क्या-क्या हुनर है लड़कियों की जिन्दगी 
बेटियों को बेटा जैसा मानने का अर्थ है, उनहें शिक्षा, रोजगार और विकास के सारे अवसर बेटों के समान देना। जीवन के हर क्षेत्र में विकास। पर उनमें मानवी के, बेटियों के स्वाभाविक गुणों का भी साथ साथ विकास हो, इसका ध्यान रखें। बेटियों को बेटों से पीछे नहीं रखना है, किन्तु उन्हें बेटा कतई नहीं बनाना है।

स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के अंतर को समझे
स्वतंत्रता का अर्थ होता है स्वयं की क्षमता का अभिरुचि एवं समय के अनुरुप विकास के अवसर का उपयोग करना। अधिकार उपभोगऔर कर्तव्य पालना में बाहरी बाधाओं का नहीं होना। स्वच्छंदता निरकुंश इच्छाओं को किसी भी मूल्य पर पुरा करने का प्रयास है। महिलाओं को स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर को समझना होगा। महिला हो या पुरुष, स्वच्छंदता, सभी के लिए हानिकारक है। स्वच्छंदता अंत में विकास को ही अवरुद्ध कर देती है। यह पारिवारिक जीवन में कलह घोल देती है और सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती है।
ठीक है आजाद होना, हो मगर उद्दण्ड तो
कब भला पायी सँवर है लड़कियों की जिन्दगी


शिक्षा, स्वालम्बन और स्वास्थ्य
महिलाओं की उन्नति के तीन मुख्य आधार है, शिक्षा, स्वालम्बन और स्वास्थ्य। परिवार में बेटियों को अच्छी शिक्षा, स्वलम्बन के लिए कौशल प्रशिक्षण और स्वास्थ्य के प्रति सजगता का विशेष ध्यान रखें। शिक्षित महिलाएं स्वयं का ही नहीं, पुरे परिवार का भविष्य संवार देती है। परिवार महिला पर ही टिका होता है। परिवार सुखी तो समाज खुशहाल। 
प्रायः महिलाए स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होती है। परिवार के अन्य सदस्यों के हर सुख दुःख का ध्यान रखने वाली गृहणी स्वयं की देह की उपेक्षा करती है। इस दिशा में विशेष जागृति की आवश्यकता है।
उन्हीं से उजालों की उम्मीद है
दिए आँधियों में जो जलते रहे

उन्हीं को मिलीं सारी ऊचाईयां
जो गिरते रहे और संभलते रहे