कांग्रेस
नें बिगाड़ा देश का इतिहास व
भूगोल
भारत
के इतिहास और भूगोल के साथ
कांग्रेस नें खिलवाड़ किया
है। 1947 में
स्वतंत्रता के साथ ही भारत
का विभाजन कांग्रेस की सत्ता
लोलुपता और कायर नीतियों का
परिणाम थी। 1962 में
चीन नें भारत की हजारों किं.मी.
भूमि पर कब्जा
कर लिया। 1971 के
युद्ध में भारत की ऐतिहासिक
विजय हुई थी। किन्तु भारत की
पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान
का छम्ब सेक्टर में किए गए
छोटे से कब्जे को शांति के नाम
पर स्वीकार कर लिया गया था।
1992 से
1997 के
कार्यकाल में समझोते के नाम
पर बांगलादेश को भारतीय भूभाग
दे दिया गया।
देश
के स्वर्णिम इतिहास के प्रति
कांग्रेस के खिलवाड़ पर तो
हजारों पृष्ट लिखे जा सकते
हैं। इनके लिए राम एक काल्पनिक
पात्र है। समुद्र सेतु का
अस्तित्व नहीं है। महाराणा
प्रताप और वीर शिवाजी महानायक
नहीं विद्रोही मात्र थे। देश
की आजादी पर केवल कांग्रेस
के एक परिवार का ही अधिकार है।
आज
देश कांग्रेस से भ्रष्टाचार,
महंगाई,
अवरुद्ध
विकास, रोजगार
में कमी, आतंकवाद,
सीमा पर मंडराते
खतरे पर जवाब मांग रहा है।
कांग्रेस के बड़बोले नेताओं
के साथ ही अखण्ड मोन व्रती भी
इतिहास और भुगोल की चर्चा में
यक्ष प्रश्नों को गोल कर रहे
हैं। नरेन्द्र मोदी विकास और
सुशासन की राजनीति को मुख्य
धारा में लाना चाहते हैं।
किन्तु कांग्रेस के नेता
साम्प्रदायिकता और वैमनस्य
की राजनीति को छोड़ना ही नहीं
चाहते हैं।
रुपये
का मूल्य आर्थिक स्थिति की
तस्वीर दिखाता है। अटल जी की
सरकार के समय 40 रुपयों
में एक डालर आता था। आज एक डालर
का भाव 62 रुपया
है।
कांग्रेस
मुक्त भारत, विश्व
शक्ति भारत